केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान ने ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में ऑस्ट्रेलियाई अंतर्राष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन में मुख्य भाषण दिया। इसके साथ ही उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री श्री जेसन क्लेयर के साथ द्विपक्षीय बैठक भी की। इस महत्वपूर्ण बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल के सदस्य, दोनों देशों के विश्वविद्यालयों के प्रमुख और अन्य विशिष्ट व्यक्ति भी शामिल थे।
अपने संबोधन में श्री प्रधान ने भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच मजबूत और विकसित होती साझेदारी की सराहना की, जो दोनों देशों के इतिहास और सांस्कृतिक संबंधों को जोड़ती है और भविष्य में एक उज्जवल मार्ग प्रशस्त करती है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री श्री एंथनी अल्बानी के दूरदर्शी नेतृत्व में इन संबंधों को और सशक्त करने का विश्वास जताया।
श्री प्रधान ने अपने भाषण में चौथी औद्योगिक क्रांति के संदर्भ में शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों को तकनीक के निर्माता और प्रबंधक बनने के लिए तैयार करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारत की राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) डिजिटल साक्षरता, सॉफ्ट स्किल्स, आलोचनात्मक सोच और अंतःविषय अध्ययन पर ध्यान केंद्रित करती है, जिससे छात्र उभरते रोजगार बाजारों के लिए बेहतर ढंग से तैयार हो सकें।
श्री प्रधान ने कहा कि शिक्षा के क्षेत्र में सहयोग भारत-ऑस्ट्रेलिया संबंधों का महत्वपूर्ण स्तंभ है और इसका उद्देश्य भारत की शिक्षा प्रणाली को कौशल-आधारित ढांचे में परिवर्तित करना है, जैसा कि एनईपी 2020 में उल्लिखित है। उन्होंने बताया कि कैसे एनईपी 2020 ने भारत के शिक्षण परिदृश्य को बदलते हुए शिक्षा क्षेत्र में दोनों देशों के बीच स्थायी संबंध बनाए हैं।
इस बैठक में श्री प्रधान और श्री जेसन क्लेयर ने भारत में ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय परिसरों की स्थापना की संभावनाओं पर भी चर्चा की और दोनों देशों ने ज्ञान, नवाचार और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता व्यक्त की। (Source: PIB)