BEd: चार वर्षीय स्नातक डिग्री धारकों के लिए फिर शुरू होगी एक वर्षीय बीएड डिग्री

BEd: One-Year Degree Program

शैक्षणिक सत्र 2026-27 से शिक्षा स्नातक (बीएड) के पाठ्यक्रम और प्रारूप में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी)-2020 के तहत बीएड का पाठ्यक्रम एक बार फिर से एक वर्षीय हो जाएगा। यह बदलाव दस साल बाद किया जा रहा है।

नए प्रारूप के तहत, केवल चार वर्षीय स्नातक डिग्री (इंटीग्रेटेड प्रोग्राम) पूरा करने वाले छात्र ही इस एक वर्षीय बीएड प्रोग्राम में दाखिला ले सकेंगे। वर्ष 2025 से इस बदलाव की अधिसूचना जारी होगी। इसके अलावा, शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) के नियम और मानदंड भी 2027 में चार वर्षीय इंटीग्रेटेड डिग्री धारकों के पहले बैच के पूरा होने से पहले बदल दिए जाएंगे।

फर्जी और डमी कॉलेजों पर रोक

राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के अध्यक्ष प्रो. पंकज अरोड़ा ने बताया कि स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और फर्जी बीएड कॉलेजों पर रोक लगाने के लिए कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। सभी बीएड कॉलेजों के शिक्षकों को पैन नंबर और वेतन खाते से पंजीकृत करना अनिवार्य किया गया है ताकि शिक्षक एक से अधिक कॉलेजों में सेवाएं न दे सकें।

इसके अलावा, फर्जी कॉलेजों की पहचान के लिए जियो-कोऑर्डिनेट प्रणाली के तहत शिक्षकों और छात्रों की लाइव फोटो अपलोड करने की प्रक्रिया लागू की जाएगी। कॉलेजों को 2021-22 और 2022-23 की परफॉर्मेंस अप्रेजल रिपोर्ट (पीएआर) अनिवार्य रूप से 10 दिसंबर तक अपलोड करने के निर्देश दिए गए हैं।

बीएड डिग्री के विभिन्न प्रारूप

  • एक वर्षीय बीएड: चार वर्षीय स्नातक या स्नातकोत्तर डिग्री पूरी करने वाले विद्यार्थी दाखिला ले सकेंगे।
  • दो वर्षीय बीएड: तीन वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम पूरा करने वाले विद्यार्थियों के लिए।
  • एमएड डिग्री: चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड या दो वर्षीय बीएड पूरी करने वाले छात्र दाखिला ले सकते हैं।

पाठ्यक्रमों में विस्तार

  1. चार वर्षीय इंटीग्रेटेड बीएड:
    • 2023 में बीए-बीएड, बीएससी-बीएड और बीकॉम-बीएड की शुरुआत हो चुकी है।
    • 2025 से इसमें शारीरिक शिक्षा, कला शिक्षा, योग शिक्षा और संस्कृत शिक्षा जैसे नए विशेषज्ञता कोर्स जोड़े जाएंगे।
    • 12वीं पास छात्र इसमें सीधे दाखिला ले सकते हैं।
  2. दो वर्षीय बीएड:
    • वर्तमान में 750 कॉलेजों में चल रहे इस पाठ्यक्रम का भी विस्तार किया जाएगा।

इस नई व्यवस्था के जरिए शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और योग्य शिक्षकों की उपलब्धता सुनिश्चित की जाएगी।


Photo Credit: Freepik

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