Electric Vehicles: देश में तेजी से बढ़ी इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री, पांच साल में बिके 36.39 लाख वाहन

Electric Vehicles: Surge in Sales of Electric Vehicles in India, 36.39 Lakh Vehicles Registered in Five Years

भारत में पिछले कुछ सालों में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री में तेजी आई है। इसके अलावा, पेट्रोल और डीजल से चलने वाले वाहनों के अलावा बैटरी, सीएनजी और अन्य वैकल्पिक वाहनों की भी बढ़ती मांग देखी जा रही है। सरकार की योजनाओं, जैसे फेम स्कीम, पीएलआई और पीएम ई-ड्राइव, ने इस बढ़ोतरी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

परिवहन मंत्रालय के वाहन डेटा के अनुसार, 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2024 तक भारत में कुल 10,75,31,040 वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ, जिनमें से 36,39,617 वाहन इलेक्ट्रिक थे। इसका मतलब है कि पिछले पांच सालों में इलेक्ट्रिक वाहनों का मार्केट शेयर 3.38% रहा।

इलेक्ट्रिक वाहनों की दौड़ में यूपी सबसे आगे

पिछले पांच साल में सबसे अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों का रजिस्ट्रेशन उत्तर प्रदेश में हुआ। महाराष्ट्र, कर्नाटका, तमिलनाडु और राजस्थान जैसे राज्य भी टॉप-5 में शामिल रहे। वहीं, सिक्किम में एक भी इलेक्ट्रिक वाहन का रजिस्ट्रेशन नहीं हुआ। लक्षद्वीप में 0.69%, नागालैंड में 0.02% और अरुणाचल प्रदेश में 0.03% ई-वाहन रजिस्टर हुए। लद्दाख में यह आंकड़ा केवल 0.45% का था।

सरकार की इन योजनाओं से बढ़ी ई-वाहनों की बिक्री

  1. फेम स्कीम: केंद्र सरकार की फेम (फाॅस्टर अडाॅप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स) स्कीम ने देश में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। यह योजना 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2023 तक लागू की गई थी, जिसमें इलेक्ट्रिक वाहनों पर बैटरी की क्षमता के अनुसार सब्सिडी दी गई थी। इसके लिए सरकार ने 11,500 करोड़ रुपये का बजटीय आवंटन किया था।
  2. पीएलआई स्कीम: यह योजना खासतौर पर वाहन और ऑटो कंपोनेंट्स बनाने वाली कंपनियों के लिए लागू की गई है। इस योजना के तहत इलेक्ट्रिक वाहन बनाने वाली कंपनियों को टैक्स में छूट और अन्य लाभ दिए गए। इसके लिए सरकार ने 25,938 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है।
  3. पीएम ई-ड्राइव: फेम स्कीम के खत्म होने के बाद पीएम ई-ड्राइव स्कीम को लॉन्च किया गया। यह योजना 29 सितंबर 2023 से लागू हुई है। इसके तहत इलेक्ट्रिक दोपहिया, तिपहिया, चार-पहिया वाहनों के साथ-साथ इलेक्ट्रिक बस, ट्रक और एंबुलेंस की बिक्री को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही, सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशन और वाहन टेस्टिंग एजेंसियों को भी अपग्रेड करने की योजना है। इसके लिए सरकार ने 10,900 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया है।

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